ईश्वर सत्य

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** ईश्वर और मेरी आस्था स्पर्धा विशेष….. ईश्वर सत्य,आस्था झूठीआत्म कहें,कर्मों में त्रुटि,शब्द भेद और सार नहींआत्म बेचारी वर्णों से रुठी। अनगढ़ पढ़-पढ़ पुष्प चढेआत्म सरल न स्वयं पढ़े,पोथी का यहां मोल हजारोंआत्म आगे कर्मों के झूठी। आस्था,फकीर लकीरीपाछे ईश्वर,शब्द मजबूरी,पोथी पढ़-पढ़ ध्यान करेंआत्म बेचारी धर्मों में टूटी। शब्द गुरु यहां सार बढ़ा … Read more

यहीं कहीं कैलाश में

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** यही कहीं कैलाश मेंआत्म चहक रही मेरी,सावन की बरसात में-मिट्टी महक रही मेरी। प्रीत में शीत नहींजीवन में जीत नहीं,हार जाऊं बन हार मैं-लिपट गले महकूं तेरे। स्पर्श पवन पा रहीतरंग उर समा रही,त्वरित मिलन को देह-नित बहका रही मेरी। महेश हो,मधमहेश होतांडव कारी परमेश हो,त्राहिमाम पापों की-आत्म मांग रही मेरी। आषुतोष,शशांक … Read more

नि:स्वार्थ था विद्यार्थी जीवन

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. तेरा-मेरा,जाति-पातीबन गया लाभार्थी जीवन,नि:स्वार्थ था कभी वो-मेरा विद्यार्थी जीवन। जेब थी ख़ाली,वित्त नहींसंग थे चित्त,चित्त नहीं,ऊंची उड़ान भरा था वो-मेरा विद्यार्थी जीवन। चिंता थी चित्त चोर कीपढ़ाई के घर में शोर की,आगे बढ़ने की होड़ की-बिन पैसे मस्ती दौड़ की। परीक्षा पास तो जागे रातोंकभी मोहब्बत … Read more

मील का पत्थर,मंजिल नहीं

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** कोई शास्त्र सत्य नहीं है,पत्थर मील भी असत्य नहीं हैशास्त्र कहूं या पत्थर मील का-रखा सर जो,तो भ्रम वहीं है। शास्त्र,पत्थर एक कहीं है,इशारा उनका,ठहराव नहीं हैबढ़ो और आगे,और आगे-मील का पत्थर मंजिल नहीं है। हर समुदाय थाम कर बैठा,पत्थर मील सर रख कर बैठामंजिल पर किसी का ध्यान नहीं-मंजिल उसी को … Read more