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नि:स्वार्थ था विद्यार्थी जीवन

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष ……..

तेरा-मेरा,जाति-पाती
बन गया लाभार्थी जीवन,
नि:स्वार्थ था कभी वो-
मेरा विद्यार्थी जीवन।

जेब थी ख़ाली,वित्त नहीं
संग थे चित्त,चित्त नहीं,
ऊंची उड़ान भरा था वो-
मेरा विद्यार्थी जीवन।

चिंता थी चित्त चोर की
पढ़ाई के घर में शोर की,
आगे बढ़ने की होड़ की-
बिन पैसे मस्ती दौड़ की।

परीक्षा पास तो जागे रातों
कभी मोहब्बत में रातों बातें,
दुनियादारी से था परे वो-
मेरा विद्यार्थी जीवन।

समझे अर्थ,अनर्थ खातिर
भावार्थ हुए भाव पर आतुर।
सच्चा,अच्छा था वो-
मेरा विद्यार्थी जीवन॥

परिचय- संदीप धीमान का जन्म स्थान-हरिद्वार एवं जन्म तारीख १ मार्च १९७६ है। इनका साहित्यिक नाम ‘धीमान संदीप’ है। वर्तमान में जिला-चमोली (उत्तराखंड)स्थित जोशीमठ में बसे हुए हैं,जबकि स्थाई निवास हरिद्वार में है। भाषा ज्ञान हिन्दी एवं अंग्रेजी का है। उत्तराखंड निवासी श्री धीमान ने इंटरमीडिएट एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र-स्वास्थ्य विभाग (उत्तराखंड)है। आप सामाजिक गतिविधि में मानव सेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है। आपकी रचनाएँ सांझा संग्रह सहित समाचार-पत्र में भी प्रकाशित हुई हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है। देश और हिन्दी भाषा के लिए विचार-‘सनातन संस्कृति और हिन्दी भाषा अतुलनीय है,जिसके माध्यम से हम अपने भाव अच्छे से प्रकट कर सकते हैं,क्योंकि हिंदी भाषा में उच्चारण का महत्व हृदय स्पर्शी है।

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