क्या यही हमारी रीत ?

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)************************************************ नव वर्ष नये साल का कैसे मनाऊँ जश्न,क्या यही हमारी रीत है ? मन में उठता है प्रश्न।सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन… देख नयन में नीर भरे हैं,ये किस राह पर हम चले हैंये नहीं हमारी संस्कृति है,ये भेड़-चाल की विकृति हैदेख देश की हालत को,मन मेरा करता है रुदन।सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन… नवरेह की धूप … Read more

मुझे भी दर्द होता है

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)************************************************ हाड़ मांस का नहीं मैं पुतला,मेरे सीने में भी दिल होता है।पुरुष हूँ,जीवंत हूँ,हाँ,मुझे भी दर्द होता है॥ चोट लगे तो रोना नहीं,तुम लड़के हो और लड़के कभी रोते नहींबचपन से ही सुनते आते बस बात यही,अरे! हम भी इंसान हैं,क्या हमें रोने का हक भी नहींआखिर हम पत्थर तो नहीं,हममें भी एहसास … Read more

बॉलीवुड जाना नहीं…

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)********************************************************** (रचनाशिल्प-परदेसी,परदेसी की धुन…) बॉलीवुड,बॉलीवुड जाना नहीं,जाना नहीं घर छोड़ के,घर छोड़ के।बॉलीवुड की माया,है बस दिखावा।इसे याद रखना,कहीं भूल न जानाl अपने बनकर लोग यहाँ छल जाएँगे,मुँह में राम,बगल में छुरी चलाएँगे।इन लोगों के झाँसे में गर तुम आओगे,सुशांत के जैसे तुम भी मारे जाओगे।बात सुन लो यारा,यहाँ मत जाना,तुम याद रखना,कहीं भूल … Read more

हम आजाद हुए!

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)********************************************************************* मेरे देश तुझे आज़ाद हुए,कहने को ७३ साल हुए हैं।पर आज भी कितनी जंजीरों में,हम भारतवासी जकड़े बैठे हैं।मन में आता एक ही प्रश्न-क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए… ? आज भी प्रेम से हमारे देश में,हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,इसाई रहते हैं।धर्म-जाति के जाल में उलझे,फिर किस जुबान से खुद को हम,हिन्दुस्तानी कहते हैं।क्या सचमुच,क्या सचमुच … Read more