कुल पृष्ठ दर्शन : 251

You are currently viewing हम आजाद हुए!

हम आजाद हुए!

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
*********************************************************************

मेरे देश तुझे आज़ाद हुए,
कहने को ७३ साल हुए हैं।
पर आज भी कितनी जंजीरों में,
हम भारतवासी जकड़े बैठे हैं।
मन में आता एक ही प्रश्न-
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए… ?

आज भी प्रेम से हमारे देश में,
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,इसाई रहते हैं।
धर्म-जाति के जाल में उलझे,
फिर किस जुबान से खुद को हम,
हिन्दुस्तानी कहते हैं।
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए…?

आज हमारी राष्ट्रभाषा,
‘द्वितीय भाषा’ कहलाती।
अफसोस हर हिन्दुस्तानी को,
हिन्दुस्तान की भाषा नहीं आती।
चौड़ी छाती करते हैं जब भी,अंग्रेजी में बात करें।
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए…?

बच्चे और मात-पिता भगवान यहाँ है कहलाते,
पत्थर की मूरत को पूजें…
और भगवान आश्रम में छोड़ आते।
शाखाएँ ही दीमक बनकर,
जड़ों को देखो खोखला करें।
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए…?

खून-पसीना बहा करके,खेत में सोना लहराए,
भारतमाता की लाज बचाने
वीरों ने सिर हैं कटवाए।
फिर भी ‘जय जवान,जय किसान’ साल में बस २ बार कहें।
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए…?

माँ,बहन,बेटी यहाँ,देवी की उपमा हैं पातीं,
देश पर संकट आए तो,मर्दानी लक्ष्मी भी बन जातीं।
फिर कौन से दरिंदे हैं जो,
इनका यहाँ शिकार करें।
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए…?

अब तो जागो भारतवासियों,
देशप्रेम की कुछ बात करो।
कहने से बस कुछ नहीं होता,
दिल में सच्चा देशप्रेम का भाव भरो।
क्या हरा,क्या नारंगी!
दोनों बिन तिरंगा भी अधूरा है।
एक ही माँ के बच्चे हैं सब,
फिर मन में क्यों कोई बैर रखें।
क्या सचमुच,क्या सचमुच हम आज़ाद हुए…?

जब कोई न तरसे दानों को,
और लग जाएँ ताले आश्रमों में।
बहन-बेटी सिर उठा कर चलें,
जिस दिन सूनी सड़कों में।
लक्ष्मी और आज़ाद मिलें जब,
शहर-शहर और गाँवों में॥
हाँ उस दिन,हाँ उस दिन…कहना,
फक्र से तुम-‘देखो अब हम आज़ाद हुए॥’

परिचय-रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।

Leave a Reply