नशा
गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* ये दुनिया एक मयखाना है, जिसे देखो वही दीवाना है। शोहरत का कोई दौलत का, औरत का तो कोई मय का दीवाना है। खाने का तो कोई सोने का, किसी को पढ़ने का,हमको लिखने का नशा पुराना है। शोहरत जब जब बढ़ती है, नशा अहम का छा जाता … Read more