कलयुग

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* (रचनाशिल्प:३ चौकल+लघु गुरु। सम पाद मात्रिक छंद। प्रति चरण में १५ मात्राएँ।) झूठे वादे मिलता ताज। कैसे सपने देखे आज॥ सच्चा धक्के खाता जाय। लोभी कामी आदर पाय॥ भूले सारे अपना धर्म। ऐसे दिखते सबके कर्म॥ जिनमें अवगुण दीखे खान। पाना चाहे हरदम मान॥ परिचय : बिनोद कुमार महतो का उपनाम … Read more

कहते पागल हैं

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* (रचनाशिल्प:बहर २१२२ २२२२ २२) सत्य बोलूँ तो कहते पागल है, झूठ बोलूँ तो कहते पागल है। बात इतनी ही तो अब सब बोले, जो न बोलूँ तो कहते पागल हैll काम करता हूँ मन से तब कहते, काम के पीछे तो वह पागल है। बैठ घर में यूँ ही … Read more