कुल पृष्ठ दर्शन : 127

कहते पागल हैं

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’
दरभंगा(बिहार)
*********************************************************************
(रचनाशिल्प:बहर २१२२ २२२२ २२)

सत्य बोलूँ तो कहते पागल है,
झूठ बोलूँ तो कहते पागल है।
बात इतनी ही तो अब सब बोले,
जो न बोलूँ तो कहते पागल हैll

काम करता हूँ मन से तब कहते,
काम के पीछे तो वह पागल है।
बैठ घर में यूँ ही रहता तब भी,
लोग कहते हैं देखो पागल हैll

हाथ पैसे हो जल वो जाते हैं,
हो न पैसे तो कहते पागल है।
मूर्ख समझे जो सच ही लिखता हूँ,
मुझ हँसौड़ा को कहते पागल हैll

परिचय : बिनोद कुमार महतो का उपनाम ‘हंसौड़ा’ है। आपका जन्म १८ जनवरी १९६९ में महावीर चौक, निर्मली(सुपौल)का है। वर्तमान में दरभंगा(बिहार) स्थित न्यू लक्ष्मी सागर रोड नम्बर ७ पर निवासरत हैं। आप सोतिया जाले,दरभंगा (बिहार)में प्रधान विद्यालय में शिक्षक हैं। शैक्षिक योग्यता दोहरा एमए(इतिहास एवं शिक्षा)सहित बीटी,बीएड और प्रभाकर (संगीत)है। आपके नाम-बंटवारा (नाटक),तिरंगा झुकने नहीं देंगे, व्यवहार चालीसा और मेरी सांसें तेरा जीवन आदि पुस्तकें हैं। सामाजिक गतिविधि में बाल विकास गुरु प्रशिक्षक (बिहार-झारखण्ड) के तौर पर सत्य साईं सेवा संगठन से जुड़े हुए हैं। श्री महतो की लेखन विधा-मुक्तक,ग़ज़ल,गीत, मात्रिक एवं वर्णिक छंद है। साझा संकलन में भी आपकी कृतियां-मेघनाद (विभिन्न घनाक्षरी छंद),सखी साहित्य संग्रह और निराला साहित्य संग्रह शामिल है। विशेष उपलब्धि बच्चों,अभिभावकों, बड़े-बुजुर्गों तथा साहित्यप्रेमियों का प्यार है। आपकी दृष्टि में लेखनी का उद्देश्य-समाज को साहित्य की रोशनी से सत्य का अनुसरण करने को प्रेरित करना है। आपको राष्ट्रभाषा गौरव(मानद उपाधि, इलाहाबाद),विश्व गुरु भारत गौरव सम्मान सहित अब तक शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में ४७१ पुरस्कार एवं सम्मान एवं महाकवि विद्यापति साहित्य शिखर सम्मान (मानद उपाधि) और बेहतरीन शिक्षक हेतु स्वर्ण पदक सम्मान भी मिला है। साथ ही अनेक मंचों ने भी आपका सम्मान किया है।

Leave a Reply