होली की गंध..
हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* एक मादक-सी गंध है होली में, बैठी हूँ,कुछ रंग लिए टोली में। मन में है उल्लास तेरी बस याद, चढ़ी बैठी हूँ साँझ की डोली में। आचल में सफेदी पहन रखी है, तेरे रँगों की रँगीनी की ताक में। भीगे मौसम की ये है नरम धूप, अभी बसंत-शरद की आस … Read more