बचपन
डॉ. जानकी झाकटक(ओडिशा)************************ बचपन की नादानियां,दोस्तों संग बदमाशियांछिप-छिप कर भाई-बहनों संग,घर पर होती शैतानियां।न किसी बात की फिक्र,न किसी बात का गमपलक झपकते सब मिल जाता,दादा-दादी के प्यार से मन खुश रहता।दिनभर पढ़ने को मम्मी कहती,पापा कहते बच्ची मेरी है छोटीचिड़ियों की तरह हम चहकते रहते,खेल-कूद कर दिन बिताते।पर देखो अब कैसा समय है आया,मोबाइल … Read more