मानव सेवा से सुलभ हो पुण्य
सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* मैं हूँ कपड़ों का व्यापारी,व्यापार ही मेरा अब कर्म,हर ग्राहक को समझूं देवतुल्य निज तेवर रखूं नर्मतब क्या खाएगा वो घोड़ा जिसे प्रेम हो घास के संग,पूज्य पिताजी के वचनों से समझा व्यापारिक धर्म। मृदु भाषा,व्यवहार कुशलता व्यापार का है मूलमंत्र,दाल में नमक-सा लाभ मिले तो उन्नत व्यवसाय तंत्रग्राहक को दूँ … Read more