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मन के हारे हार,मन के जीते जीत

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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बात उन दिनों की है,जब मैंने उच्च शिक्षा के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। मैं बहुत खुश थी,क्योंकि विश्वविद्यालय में पढ़ने का सपना पूरा हो गया था। छात्रावास में रहती थी। अपना खर्चा खुद उठाने के लिए मैंने सोचा कोई छोटी-सी नौकरी कर लूं। तलाशने पर पता चला कि वहां आकाशवाणी केन्द्र भी है। चूंकि, मैंने काफी कम उम्र से ही आकाशवाणी रामपुर पर कार्यक्रम देने शुरू कर दिए थे,इसलिए अनुभव भी था। इसलिए,मैंने आकाशवाणी उद्घोषिका बनने के लिए आवेदन कर दिया। साथ ही अपनी सहेली को भी उत्साहित किया कि,वह भी आवेदन करेl दोनों ने अपना आवेदन जमा कर दिया और साक्षात्कार के लिए प्रतीक्षा करने लगे। वह दिन भी आ गया,जब दोनों साक्षात्कार के लिए गए। वापसी में,मेरी सहेली थोड़ी निराश थी,क्योंकि उसे कोई पूर्व अनुभव नहीं था,लेकिन मैं अपनी सफलता के लिए पूरी तरह आश्वस्त थी। मैंने उसे समझाया कि निराश होने की जरूरत नहीं,सब ठीक होगा। लगभग १५ दिन के बाद मेरी सहेली दौड़ती हुई अाई और बताने लगी कि उसका चुनाव हो गया है और उसे कार्यक्रम सम्बन्धी जानकारी देने के लिए बुलाया गया है। फिर उसने मुझसे पूछा कि,मुझे कोई सूचना मिली कि नहीं ? मैंने कहा-नहीं। उसने कहा कि-आ जाएगा पत्र,हो सकता है कि डाक में कहीं फंस गया हो,पर मैं अन्दर से थोड़ा डर गई थी। उसके सामने मैंने मन के भाव नहीं आने दिए। उस दिन सचमुच मुझे अपनी सहेली से जलन हो रही थी। मैं उसे बताए बिना चुपके से आकाशवाणी केन्द्र गई और अपने बारे में पता किया तो पता चला कि मेरा चुनाव नहीं हुआ।
निराशा,जलन और शर्मिंदगी ने मुझे घेर लिया। दिन बीतने लगे। एक दिन मैंने अखबार में एक लेख पढ़ा,जिसमें लिखा था कि गायक महेंद्र कपूर और महानायक अमिताभ बच्चन को आकाशवाणी वालों ने यह कहकर मना कर दिया था कि,उनकी आवाज़ प्रभावशाली नहीं है,पर फिर भी वे लोग निराश नहीं हुए और कोशिश करते रहे,और उनकी सफलता अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है।
यह पढ़कर मुझमें एक नवीन आशा का संचार हुआ। मैंने फिर से उसी आकाशवाणी केन्द्र में आवेदन किया और सफल हुई। तब से लेकर आज तक जीवन के उतार-चढ़ावों में मैंने कभी भी निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। दु:ख आने पर खुद की ही पीठ थपथपाती हूँ और आगे बढ़ने के लिए स्वयं को उत्साहित करती हूँ। सच ही है -‘मन के हारे हार, मन के जीते जीत।’

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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