हम बन जाएँ

ज्योति जैन ‘ज्योति’कोलाघाट(पश्चिम बंगाल)****************************** काव्य संग्रह हम और तुम से…. चलो,मैं और तुमहम बन जाएँ,बारिश की तरहबूँद-बूँद मैं औरबूँद-बूँद तुममिलकर,बरसात बन जाएँ।बादलों में अठखेलियाँ करएक-दूसरे में खो जाएँ,तुम मेरे कृष्णमैं तुम्हारी राधा,बन जाऊँऔर हमराधेकृष्ण हो जाएँ।तुम्हारे अधरों पेबाँसुरी-सी,मैं सजूँ,तुम्हारी मुस्कान बनमैं इतराऊँ। तुम्हारी सुर-लय-ताल परमेरे सरगम हो,तुम्हारे शब्द-गीत-संगीत कीहर लय पर मैं औरमेरी कविता के … Read more