प्रकृति को बचाना सबसे बड़ा कर्तव्य

उषा शर्मा ‘मन’ जयपुर (राजस्थान) **************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. मचाया प्रकृति ने जब हाहाकार, सारे उपाय हुए मानव के बेकार। संभल जा ओ! मानव… ऐ! मानव मत सताया करो इस प्रकृति को, इसी की गोद में बैठ कर मत करो बर्बाद इसे। उठ जा अभी भी समय है तेरे पास, यह भी तेरी … Read more

माँ रोज-रोज मरती है…

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* माँ तो माँ होती है, फिर भी पराया धन कहलाती है। रोज-रोज करती है, हँसते-हँसते सबकी सेवा सबके लिए जीती है। कभी इच्छा जताती नहीं, अपमान सहन करती है फिर भी मुख पर, स्मित हास्य रखती है, भूखे पेट सो जाती है। सुनती सबकी,कहा-सुनी फिर भी करती मिन्नतें, हजार सबके … Read more