कब आएंगे मेरे राम…!

लीना खेरियाअहमदाबा(गुजरात)******************************************* अक्सर,लगता है मुझे किमैं हूँ श्रापित अहिल्या-सी,जो मानो सदियों सेना जाने किसकी भूल के,परिणामस्वरूपहो गई हूँ पूर्णतःपाषाण…। संग मेरे,धीरे-धीरे एक-एक करपत्थर हो गए,हृदय के गर्भगृह में स्थापितअपने व अपनत्व के सभी भाव,जड़ हो गई वेदना भीसभी संवेदनाएँ भी,और पथरा गयापलकों के कोरों पर ठहरा,वो नन्हा-साअश्रु भी…। सोचती हूँ मैं,हर पल अविरलक्या कभी आएंगे … Read more

अमर रहे मेरा प्यार…

लीना खेरियाअहमदाबाद(गुजरात)******************************************* तुलसी के पौधे-सा,निर्मल और पावनजाने कब और कैसे,उग आया हैतुम्हारा प्यार,मेरे मन के आँगन। जिसे सींचती हूँ मैं,हर रोज हीबड़े चाव से,स्नेहपूरित नयनों केशीतल जल से। फिर लगा देती हूँ,अपने प्रेम की लालिमा लिएसूर्ख कुमकुम उसे,और चढ़ा देती हूँचुन-चुन कर,सम्पूर्ण समर्पण रूपी अक्षतजिस पर अर्पित कर देती हूँ मैं,नित ही नत मस्तक होअपने … Read more

नियति…

लीना खेरियाअहमदाबाद(गुजरात)******************************************* एक-एक कर के,चटकती रहीमन के भीतर की सभी,चरमराती ज़र्जरदीवारें। रिसते रहे,बड़ी ख़ामोशी सेधीरे-धीरे सभी एहसास,कभी दर्द में सने आँसू बन करतो कभी आक्रोश बनकर,चुप की चादर ओढ़ेसीने में फाँस-सी चुभन लिए,कतरा-कतरारक्त की बूँद सम,बरसते रहे। सिसकते रहे,संग मेरेसारे सपने भी,अपूर्णता की पीड़ा लिएटूट कर बिखर जाने का,असह्य दर्द लिएआँखों की किरकिरी बन,बहते रहे। … Read more