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नियति…

लीना खेरिया
अहमदाबाद(गुजरात)
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एक-एक कर के,
चटकती रही
मन के भीतर की सभी,
चरमराती ज़र्जर
दीवारें।

रिसते रहे,
बड़ी ख़ामोशी से
धीरे-धीरे सभी एहसास,
कभी दर्द में सने आँसू बन कर
तो कभी आक्रोश बनकर,
चुप की चादर ओढ़े
सीने में फाँस-सी चुभन लिए,
कतरा-कतरा
रक्त की बूँद सम,
बरसते रहे।

सिसकते रहे,
संग मेरे
सारे सपने भी,
अपूर्णता की पीड़ा लिए
टूट कर बिखर जाने का,
असह्य दर्द लिए
आँखों की किरकिरी बन,
बहते रहे।

और मैं,
मैं मूक दर्शक बनकर
असहाय-सी,
देखती रही सब-कुछ,
किसी पिंजरे में क़ैद
परिंदे की तरह,
जो छटपटा कर
फड़फड़ाता है अपने पर,
वेदना से मुक्ति पा जाने के लिए
खुलकर आसमान में,
उड़ जाने के लिए
स्वच्छंद हो साँस लेने के लिए।

किंतु,
सदा खुद ही
लहूलुहान हो जाता है,
शायद यही है उसका प्रारब्ध
या फिर,
कदाचित…।
यही है उसकी,
नियति…॥

परिचय-लीना मित्तल खेरिया का बसेरा बोड़कदेव,अहमदाबाद(गुजरात)है। ६ जुलाई १९७२ को कानपुर(उप्र)में जन्मीं लीना मित्तल का स्थाई निवास अहमदाबाद ही है। आपको हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला अहमदाबाद निवासी लीना मित्तल ने बी. कॉम. और एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत ‘हरी-भरी वसुंधरा’ संस्था से जुड़ी हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,गज़ल और कविता है। ‘डायरेक्ट दिल से'(काव्य संग्रह)सहित अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आप ब्लॉग एवं अन्य सामाजिक माध्यम पर भी सक्रिय हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-प्राईड ऑफ विमेन अवार्ड,स्टार डायमंड अचीवर्स अवार्ड और अटल साहित्य गौरव सम्मान सहित शहीद स्मृति सम्मान व मातृभूमि सम्मान आदि है। लीना जी की लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को साझा करना व सामाजिक विषयों पर लिखना है। गुलजा़र को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली लीना मित्तल के लिए प्रेरणापुंज-पिता हैं। जीवन लक्ष्य-उत्तम साहित्य लेखन है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी हमारी मातृभाषा है,व हमें उसका सम्मान करना चाहिए।”

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