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अमर रहे मेरा प्यार…

लीना खेरिया
अहमदाबाद(गुजरात)
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तुलसी के पौधे-सा,
निर्मल और पावन
जाने कब और कैसे,
उग आया है
तुम्हारा प्यार,
मेरे मन के आँगन।

जिसे सींचती हूँ मैं,
हर रोज ही
बड़े चाव से,
स्नेहपूरित नयनों के
शीतल जल से।

फिर लगा देती हूँ,
अपने प्रेम की लालिमा लिए
सूर्ख कुमकुम उसे,
और चढ़ा देती हूँ
चुन-चुन कर,
सम्पूर्ण समर्पण रूपी अक्षत
जिस पर अर्पित कर देती हूँ मैं,
नित ही नत मस्तक हो
अपने हृदय रूपी पुष्प को।

हर रोज़ साँझ ढले,
जला देती हूँ मैं जिस पर
अपने अनंत विश्वास का दीया,
तुम्हारा ही नाम जपते-जपते
लगा लेती हूँ जिसकी परिक्रमा,
रोज़ मैं मन ही मन में।

अब तो बस,
हर पल कामना करती हूँ
अपने प्यार की लम्बी आयु की।
यही दुआ है बारम्बार…,
अमर रहे मेरा प्यार…॥

परिचय-लीना मित्तल खेरिया का बसेरा बोड़कदेव,अहमदाबाद(गुजरात)है। ६ जुलाई १९७२ को कानपुर(उप्र)में जन्मीं लीना मित्तल का स्थाई निवास अहमदाबाद ही है। आपको हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला अहमदाबाद निवासी लीना मित्तल ने बी. कॉम. और एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत ‘हरी-भरी वसुंधरा’ संस्था से जुड़ी हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,गज़ल और कविता है। ‘डायरेक्ट दिल से'(काव्य संग्रह)सहित अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आप ब्लॉग एवं अन्य सामाजिक माध्यम पर भी सक्रिय हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-प्राईड ऑफ विमेन अवार्ड,स्टार डायमंड अचीवर्स अवार्ड और अटल साहित्य गौरव सम्मान सहित शहीद स्मृति सम्मान व मातृभूमि सम्मान आदि है। लीना जी की लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को साझा करना व सामाजिक विषयों पर लिखना है। गुलजा़र को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली लीना मित्तल के लिए प्रेरणापुंज-पिता हैं। जीवन लक्ष्य-उत्तम साहित्य लेखन है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी हमारी मातृभाषा है,व हमें उसका सम्मान करना चाहिए।”

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