संयम व अहिंसा का प्रयोग है कारगर

आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि नई दिल्ली(भारत) ************************************************************************* समूह और समुदाय में शांति रहे,सौहार्द रहे, आपसी मेल-मिलाप रहे,यह जरूरी है,लेकिन समाज में अशांति ज्यादा है,तनाव ज्यादा है,संघर्ष ज्यादा है,डर ज्यादा है। दो होकर रहना संघर्ष में जीना है और यह आधुनिक समय की बड़ी समस्या है। इसके कारणों की खोज लगातार होती रही है। रुचि का भेद,विचार … Read more

‘शाकाहार क्रांति’ का अर्थ है ‘कोरोना’ से मुक्ति

आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि नई दिल्ली(भारत) ************************************************************************* ‘कोरोना’ विषाणु के महासंकट ने जीवन में व्याप्त विसंगतियों एवं विषमताओं पर गहराई से सोचने एवं जीवनशैली को एक नया एवं स्वस्थ आकार देने का वातावरण निर्मित किया है। इस जीवनशैली को विकसित करते हुए जिन महत्वपूर्ण तथ्यों पर हमें ध्यान देना है,उसमें प्रमुख है ‘शाकाहार।’ कोरोना की महामारी … Read more

महावीर की क्रांति का अर्थ है ‘संयम’

आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि नई दिल्ली(भारत) ************************************************************************* महावीर जयन्ती-६ अप्रैल विशेष………….. ‘कोरोना’ विषाणु के महासंकट से मुक्ति की अनेक योजनाएं करवटें ले रही हैं। आइए,इस वर्ष हम महावीर जयन्ती मनाते हुए कोरोना मुक्ति के लिए संयम एवं अनुशासन के गुणात्मक पड़ावों पर ठहरें। वहां से शक्ति, आस्था,संयम, संकल्प एवं विश्वास प्राप्त करें। हमें महावीर के जीवन-दर्शन … Read more

मजबूत इच्छाशक्ति से बदलता भारत

आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि नई दिल्ली(भारत) ************************************************************************* देश में जबसे नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं,सकारात्मक परिवर्तन की बयार बहती दिख रही है। इसके पीछे मजबूत नेतृत्व,विकास नीतियां एवं आदर्श मूल्यों की स्थापना का संकल्प है। राष्ट्र में राजनीतिक परिवेश ही नहीं बदला,बल्कि जन-जन के बीच का माहौल,मकसद,मूल्य और इरादा सभी कुछ परिस्थिति और परिवेश के परिप्रेक्ष्य … Read more

महावीर युग फिर से आए

आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि नई दिल्ली(भारत) ************************************************************************* महावीर जयन्ती १७ अप्रैल विशेष महावीर जयन्ती सत्संकल्पों को जागृत करने का पर्व है और सबसे बड़ा संकल्प है मनुष्य स्वयं को बदलने के लिये तत्पर हो। सरल नहीं है मनुष्य को बदलना। बहुत कठिन है नैतिक मूल्यों का विकास। बहुत-बहुत कठिन है आध्यात्मिक चेतना का रूपांतरण,और भी कठिन … Read more