‘कोरोना’ की हार हो

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** आज गतिहीन देश को शांति से गति दो, संबल मिलेगा पुन:-पुन: खुद को घर में रहने दो। यह शांति और मानवता का इम्तिहान है, जीतना होगा इसे हमें एकता के दर्शन दो। दुश्मन दर पे है खड़ा रहेगा कुछ दिनों तक अड़ा, मिटाने को इसे यहाँ से सब्र की ढाल दो। … Read more

हर रिश्ता शुरु है आपसे

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** एक माँ की चाहत थी बेटा मुझे प्राप्त हो, बड़ा बन श्रवण-सा हमेशा अपने पास हो। एक बहन ने ईश से बड़ी अरज एक की, भाई बन कृष्ण-सा लाज राखे राखी की। चाची ने मिठाई बाँटी भतीजा नहीं वह मेरा, बहन का बेटा ही सही आँखों का है चमकता तारा। दादी … Read more

बने हैं एकत्व को

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** सृष्टि के निर्माता को वंदन हमारा स्वीकार हो एक अनुनय प्यारा। चाहत छोटी-सी है अपनी, बनें एक-दूजे का हम ही सहारा। बनें विशाल तन के कंकड़ हम, हिमालयी चमकते ‘शूल’ बनो तुम। बनें अथाह जलनिधि की बूंदें हम, गरजती-इतराती ‘लहरें’ बनो तुम। बनें उठती धूल के रज कण हम, अंगार बरसे … Read more

आत्मविश्वास की खोज में

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** आज कुहसा घना छाया है धरा पर नहीं, दिल,दिमाग और मुझ पर… इस अँधियारी दूब में एक नया पथ ढूंढ रहा हूँ, खुद के अस्तित्व की, नयी पहचान ढूंढ रहा हूँ। मंजिल पाना सुलभ होगा कैसे ? जब पथ पर अपने ही बने, निष्ठूर,क्रूर,कुटिल और ठग-से भाप बन मँडराते हैं, और … Read more

कवि हैं हम

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** अच्छा हुआ नेता नहीं हूँ, जो चुनाव में भी चूना पान को नहीं, भोली जनता को लगाते हैं। हम सम्मान से नहीं, शब्दों से शान बढ़ाते हैं वह कवि हैं हम, जीवन सुख-दु:ख के गीत हम गाते हैं। नेता और कवि एक मंच पर जब भी मिलते हैं, एक वचनों से … Read more

वक्त के साथ समर

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** पगला मित्र समय हमारा खफ़ा हमसे हो गया, संग था कभी हमारे आज दुश्मन हमारा हो गया… निकला था कभी फूल बिछाने पथ पर हमारे, लथपथ देखने हमें पथ काँटों-से सजाता गया। अँधियारा है पर निशा का अहसास नहीं, उजियाला है पर सूरज-सी चमक नहीं… प्यासा पथिक मैं पर सुजल की … Read more

निज भाषा के गीत गाएँगे

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. अमृत की धारा बहाकर जिसने हिंद को अमर बनाया है, हिंदी है वह सपूत हम इसके निज भाषा के गीत नित गाएँगे। भारत भू के पावन अधरों पर, खिलें हिंदी के अमर सुमन सुगंधित करती रही-रहेगी, हँस-हँसकर देखेगा यह चमन ऐसे हैं इसके पुष्प यहाँ, जो कभी … Read more

तलाश उस परछाई की..

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** शिक्षक दिवस विशेष…………. गुरूजी कल फिर मैंने एक मनभावन सपना देखा, मुरझाए फूल को हँसते-हँसाते आपका चेहरा ही देखा। पल्लू को कस के पकड़े,पिता की उंगली थामे, था बैठा मैं,न डर था न किसी से नफरत थी हमें उम्र ने दी दस्तक,चल पाठशाला के आँगन में, लिए हाथ कोरी पाटी और … Read more

नेपथ्य से…

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** जीवन नहीं सजा करता है, बिना कँटीले-बीहड़ पथ से राग-अनुराग यूँ ही नहीं छिड़ा करता, बगैर हौंसले और नेक इरादे नेपथ्य से। जनम मिला खुशी पाई औरों ने, खुद से लड़ना है कही बात गैरों ने हाँ! हाँ! खुशियाँ यूँ ही मुफ़्त नहीं मिलती, बगैर खुद जिंदादिली शिकस्त खाने से। जीवन … Read more

कलियुग की महाभारत

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. सुनो मित्र! कृष्ण हमारे, घोर कलियुग आ गया… द्वापर युग ने फिर एक बार, कलियुग में जनम लिया। देवकी ने दिया कंस को जन्म, पद्मावती ने कृष्ण को पा लिया… मथुरा वृंदावन में तब्दील है, द्वारिका में अनर्गल गिर गया कुंती के सौ पुत्र बने कुटिल, पाकर … Read more