अनमोल हीरा ‘मुंशी प्रेमचंद’

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** शारदे की वीणा से, झंकृत हुई होगी कभी धरा शब्द थे आसमाँ में बिखरे, न था कोई सहारा सोए समाज को जगाने, और कलम के बहाने शब्दों को मिला था, स्वररूपी अनमोल एक हीरा…। ‘कोहिनूर’ का नूर सिर्फ महल की शान है, यह हीरा देखो यारों हिंद-हिंदी के मुकुट का मान … Read more

मित्र जौहरी

मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** मित्र! शब्द को जब भी सुनता हूँ मैं, अक्सर कई मुस्कराती तस्वीरें सरसरी से मानस पटल पर एक-एक कर उभर जाती हैं, किसे अपना करीब कहूँ या सिर्फ नाम का न जाने कितने ही सवाल पैदा कर जाती हैं। बचपन से लेकर आज तक, कदम से कदम मिलें कईं और छूटे … Read more