अनमोल हीरा ‘मुंशी प्रेमचंद’
मच्छिंद्र भिसे सातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************************************** शारदे की वीणा से, झंकृत हुई होगी कभी धरा शब्द थे आसमाँ में बिखरे, न था कोई सहारा सोए समाज को जगाने, और कलम के बहाने शब्दों को मिला था, स्वररूपी अनमोल एक हीरा…। ‘कोहिनूर’ का नूर सिर्फ महल की शान है, यह हीरा देखो यारों हिंद-हिंदी के मुकुट का मान … Read more