आशियाँ
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जब सुवर्णी भोर आती है,बादल झुंड कहीं छुप जाता हैजब भी नीरव पवन गाती है,और जब बारिश नहीं भाती हैतब भी अच्छे लगते हैं मुझे,मेरे घर अब गौरैया चहचहाती है।छज्जे,रोशनदान,खिड़की,कभी ग्रिल और जाली बीचकुछ सूखे पत्ते-कचरा लिए,कचरा नहीं,थोड़ा-सा ईंट-गारा टीन-टप्परइक आशियाँ तैयार करती है।क्या कमाती कैसे खाती…मालूम नहीं,कहां जाती है पता नहीं परजाते-जाते … Read more