बेजान पत्थर

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** ना मन्दिरों में महफूज है, ना मस्जिदों में सलामत है। कलियों के खिलने पर अब, बागों-बगीचों में भी बगावत है। अब तलक यकीं था कि, बसता है तू कहीं पत्थर की मूरत में तू रहनुमाँ है कहीं कुरान की सूरत में… पर भोला था मैं जो, यकीं कर बैठा … Read more

तीन जोड़ी पायल…

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** जबसे मैंने सुनना सीखा सुनकर गुनना सीखा, तब से मैं पहचानता हूँ पायल को और उसकी छनछन को। पहले जब मैं भूख से बिलखकर तड़प-तड़प कर रो-रो कर, आँगन को उठा लेता था सिर पर… तब कहीं से चला आता था, पायल का स्वर…। हाँ ये माँ के आने … Read more

खून की होलियाँ

मनोज कुमार ‘मंजू’ मैनपुरी(उत्तर प्रदेश) **************************************************************************** आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से, सीमा पर तो रण कर लेंगे,निपटें कैसे खोटों से। कौन कहे इन हैवानों की करतूतें कब होंगी कम, बच्चा-बच्चा चीख रहा है और सभी की आँख है नम। जुबां-जुबां बोले फिर अब तो इन्कलाब की बोलियाँ, अपने ही अपनों से … Read more

रस्म:नारी की उलझन

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… उम्र के खूबसूरत शहर में साँसों की फ़िजाओं में ख़्वाबों और ख़्वाहिशों का आता-जाता काफ़िला है। कई रातें गुजारने के बाद एक मुलाकात होगी लेकिन कई मुलाकातों के लिए एक मुलाकात बहुत जरुरी थी………वो थी रस्मl हर बेटी को अपने बाबुल का अँगना छोड़कर … Read more

मेरी पाक मुहब्बत..

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** वो मेरी तस्वीर को, सीने से लगाकर मुहब्बत करती रही। पर मेरे सामने अपनी, मुहब्बत का इजहार करने से डरती रही॥ रची हुई हाथों की मेहंदी से, मेरे नाम की खुशबू बिखरती रही॥ वो पगली हर रोज, आईने के सामने मेरी याद में संवरती रही॥ देखकर किसी को, इश्क-ए-राह … Read more