दायरे
नताशा गिरी ‘शिखा’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* सिमट जाते हैं दायरे, बंद हो जाते हैं गलियारेl रोशनदान ही रह जाता है, जगमगाती दुनिया को ताकने के लिएl उस पर भी पड़ गया पर्दा, पाबंदी….नहीं,परम्परा हैl खींची जाती है लक्ष्मण रेखा, मांग में…सिंदूर पड़ते हीl पाव ना पसारे, छोटी-सी चादर काफी हैl शिकंजे से भी ज्यादा कसाव, पाँच … Read more