ज़िन्दगी का मतलब

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** ज़िन्दगी का मतलब, सिर्फ मतलब के लिये ही न हो। ज़िन्दगी का मतलब, वृक्ष की तरह हो जड़,पत्ती,शाखा, फूल और फल… सभी कुछ,सभी के लिये। ज़िन्दगी का मतलब, दीपक की तेल-बाती की तरह हो खुद ख़त्म होता चले… पर,सबको रोशनी देता रहे। ज़िन्दगी का मतलब, सिर्फ जन्म लेना और मर … Read more

अथ स्वरुचिभोज प्लेट व्यथा

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** सलाद, दही बड़े, रसगुल्ले, जलेबी, पकौड़े, रायता, मटर पनीर, दाल, चावल, रोटी, पूरी के बाद… ज्यों ही मैंने प्लेट में पापड़ रखा, प्लेट से रहा न गया और बोली- अब बस भी करो, थोड़ा सुस्ता लो पहले इतना तो खा लो। घर में तो, एक गिलास पानी के लिये पत्नी … Read more