प्रतिशोध

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** तुम्हारे प्रतिशोध की ज्वाला,मुझे जला नही पाएगीमेरी तपिश इतनी है कि,तुम्हारी प्रतिशोध की आग मेरीरूह को एक तिनके-सी नजर आएगी।लाख डुबोना चाहो गर तुम,हमें दर्द के सैलाब में…आँसूओं का दरिया दिल में गहरा है इतना के,प्रयास सारे हमें गमगीन कर जाने केनिरर्थक ही हो जाएंगे।बस भी करो,अपना होकर वीरानों-सा वर्तन,मुखौटों के पीछे … Read more

हमदर्द बेटियाँ

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** कोमलता,प्यार और भावनाओंकी मूर्ति होती हैकहते हैं नसीब वाले होते हैं लोग,जिनके घर बेटियां जन्म लेती है।माँ के दिल की हमदर्द बन जाती है,पापा की ये लाडो कहलातीभाई-बहन के मीठे बंधन,बखूबी से निभाती।खेल-खेल में संसार सारा रचा जाती,कितनी अद्भुत रचना है ईश्वर की येकभी माँ,कभी बहन,तो कभी नानी-दादी,बन अपने अंदर बसे हर … Read more

इंसनियत तो सब भेदों से परे

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** सत्य,अहिंसा,दया,करुणा,प्रेम,शान्ति,त्याग का वृक्ष है।जिस वृक्ष की शाखाएं इन फलोंसे लदी,वो ही हकीकत में इन्सान है।वरना तो चोला इन्सानों-सा पहन,दिल में दबा नफरत औऱ द्वेष की चाहफिरते हैं जीवन के उपवन में,कितने ही हैवान।मानव है जिसे है प्रेम और,करुणा का एहसास।इंसानियत न बँधी,किसी जाति-धर्म-भेद मेंये तो सब भेदों से परे है।‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की,मिसाल … Read more