प्रतिशोध
कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** तुम्हारे प्रतिशोध की ज्वाला,मुझे जला नही पाएगीमेरी तपिश इतनी है कि,तुम्हारी प्रतिशोध की आग मेरीरूह को एक तिनके-सी नजर आएगी।लाख डुबोना चाहो गर तुम,हमें दर्द के सैलाब में…आँसूओं का दरिया दिल में गहरा है इतना के,प्रयास सारे हमें गमगीन कर जाने केनिरर्थक ही हो जाएंगे।बस भी करो,अपना होकर वीरानों-सा वर्तन,मुखौटों के पीछे … Read more