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हमदर्द बेटियाँ

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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कोमलता,प्यार और भावनाओं
की मूर्ति होती है
कहते हैं नसीब वाले होते हैं लोग,
जिनके घर बेटियां जन्म लेती है।
माँ के दिल की हमदर्द बन जाती है,
पापा की ये लाडो कहलाती
भाई-बहन के मीठे बंधन,
बखूबी से निभाती।
खेल-खेल में संसार सारा रचा जाती,
कितनी अद्भुत रचना है ईश्वर की ये
कभी माँ,कभी बहन,तो कभी नानी-दादी,
बन अपने अंदर बसे हर रूप को दर्शा जाती।
जिस घर में जन्म लेती,
उस घर लक्ष्मी कहलाती
जीवन के हर किरदार को,
बखूबी से निभाती।
ये बेटियां ही तो है जो,
दूर होकर भी दिल के एहसासों
से जुड़ जाती,
कमाल की होती है बेटी।
रहती है ससुराल में,
मैके को भी सम्हाल लेती है।
आखिर बेटियाँ तो मैके की महक,
और ससुराल का उजाला होती है॥

परिचय-कविता जयेश पनोत का बसेरा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई स्थित खारकर अली रोड पर है। १ फरवरी १९८४ को क्षिप्रा (देवास-मप्र)में जन्मीं कविता का स्थाई निवास मुम्बई ही है। आपको हिन्दी,इंग्लिश, गुजराती सहित मालवी भाषा का ज्ञान भी है। जिला-ठाणे वासी कविता पनोत ने बीएससी (नर्सिंग-इंदौर,म.प्र.)की शिक्षा हासिल की है। आपका कार्य क्षेत्र-नर्स एवं नर्सिंग प्राध्यापक का रहा,जबकि वर्तमान में गृहिणी हैं। लेखन विधा-कविता एवं किसी भी विषय पर आलेखन है। १९९७ से लेखन में रत कविता पनोत की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। फिलहाल स्वयं की किताब पर काम जारी है। श्रीमती पनोत के लेखन का उद्देश्य-इस रास्ते अपने-आपसे जुड़े रहना व हिन्दी साहित्य की सेवा करना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक,कोई एक नहीं, सब अपनी अलग विशेषता रखते हैं। लेखन से जन जागरूकता की पक्षधर कविता पनोत के देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
‘मैं भारत देश की बेटी हूँ,
हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा
हिन्दी मेरी मातृ भाषा,
हिन्द प्रचारक बन चलो,
कुछ सहयोग हम भी बाँटें।

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