बेनज़ीर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* वो सबके लिए एक नज़ीर है, इसीलिए तो सच में ‘बेनज़ीर’ है। वो खूबसूरत है बला की, खुदा की बनाई तस्वीर है। हिम्मत भी है हुनर भी है, वो खुद सँवारती तकदीर है। छक्के छूट जाते हैं दुश्मनों के, चमकती जब वो शमशीर है। राज करती सारे जहां पर, … Read more

२०१९ तेरा शुक्रिया

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* सन २०१९ तो मुझको, बहुत दे गया। जाते-जाते तेरा, शुक्रिया,शुक्रिया। मेरी बगिया का फूल, जो मुरझा गया था। आज आँचल में मेरे, वो फिर दे गया। शुक्रिया,शुक्रिया… कभी गम के रेले, कभी खुशियों के मेले। तू जाते-जाते मुझे, फिर ख़ुशी दे गया। शुक्रिया,शुक्रिया…॥ परिचय: सुलोचना परमार का साहित्यिक उपनाम ‘उत्तरांचली’ … Read more

शीत का कहर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* शीत का कहर कुछ, इस कदर बढ़ गया है। रूह भी बेहोश है यहां, शरीर काँप रहा है। जरा चेहरे के हाल देखो, गाल यूँ चटक गये हैं । जैसे पगडंडी गाँव की, और होंठ सूख गए हैं। आँखों से बहता पानी, मुँह धुंआ उड़ा रहा है। कोहरे की … Read more

प्रेम का अहसास

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* प्रेम का अहसास ही तो, संजीवनी का काम करता है। इसी अहसास से बंधे हैं रिश्ते, व जिंदगी का क्रम चलता है। प्रेम का अहसास सबको, एक माला में पिरोता। उन चमकते मोतियों पर, हर किसी को गर्व होता। प्रेम का अहसास ही तो, गैर को अपना बनाता। इस … Read more

जिंदगी की तलाश में…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जिंदगी ही निकल पड़ी है, अब जिंदगी की तलाश में। ये कहां-कहां भटकी है देखो, फिर बदली है लाश में। पक्षी के झुण्ड रोज उड़ते, जिंदगी की तलाश में। रोज बदलें ठौर अपना, एक जिंदगी की आस में। जिंदगी की डोर यूँ ही, टूट कर बिखरती रही। रिश्तों के … Read more

आज के रावण

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज के रावण खुल्ला घूमते, गलियों और चौबारों में। छाये रहते हर दिन देखो, देश के सब अखबारों में। रावण तो तब साधु वेश में, सीता को हरने आया था। ले गया था साथ वो अपने, लेकिन उसको छुआ नहीं था। आज के साधुवेष धारी देखो, अजब-गजब कर जाते … Read more

आईना

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* मैं आइना हूँ, जिसे दिन में तुम कई बार देखते हो। कभी मुस्कुराकर कभी रोकर,कभी, सज-धज कर खुद को निहारते हो। कभी झगड़ा हो, घर में तो गुस्से में चोट मुझ पर ही करते हो। सुनो,मैं टूटकर भी, कई हिस्सों में तुम्हारी असलियत, तुम्हे दिखाता हूँ। होश आने पर … Read more

रोते बच्चे भी हँस जायें

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. विश्व बाल दिवस पर हम सब, बच्चों के लिये कुछ कर जायें। जीवन सार्थक तभी होगा जब, पुण्य कार्य कुछ हम कर जायें। कूड़े में बचपन रोटी ढूंढे २ रोटी हम उन्हें थमा दें। सर्दी गर्मी जो नँगे फिरते, उन्हें तन ढकने को कपड़े … Read more

मेरी माँ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रोली,चंदन,कुमकुम टीका, हल्दी उबटन मेरी माँ। घर भर में खुशबू-सी फैली, धूप,अगरबत्ती मेरी माँ। सुबह-शाम के भजन कीर्तन, और अजान है मेरी माँ। गुरु ग्रन्थ के हर पन्ने की, गुरुवाणी है मेरी माँ। सूरज की किरणों जैसी ही, रंग-बिरंगी मेरी माँ। तपती दुपहरी हो जाती है, कभी कभी ये … Read more

समन्दर रोया नहीं करते

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* सुनामी लहरें यादों की, जब आती हैं तो दिल शोर मचाता है और, अंदर कुछ टूट जाता है। बची हुई किरचें जब तब, दिल में चुभती रहती है। उन्हें कह देता हूँ डांट कर, कि, ‘समंदर रोया नही करते॥’ अश्क गर आँखों से बह गए, तो जिंदगी भी जल्दी … Read more