मेरी माँ

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ तू अवर्णित है, करुणा की रागिनी से ध्वनित है। कभी वज्र से भी कठोर, कभी कुसुम कोमल हृदय से निर्मित है। कभी गिरि ह्रदय से फूट निर्झरियों सदृश आरोह, कभी निर्मल शीतल प्राणवत्ता से जीवन संचित है। जीवन के दुर्गम पथ की प्यास और थकान हर … Read more