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मेरी माँ

अर्चना पाठक निरंतर
अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


माँ तू अवर्णित है,
करुणा की रागिनी से ध्वनित है।
कभी वज्र से भी कठोर,
कभी कुसुम कोमल हृदय से निर्मित है।
कभी गिरि ह्रदय से फूट निर्झरियों सदृश आरोह,
कभी निर्मल शीतल प्राणवत्ता से जीवन संचित है।
जीवन के दुर्गम पथ की प्यास और थकान हर कर,
नई प्रेरणा की संजीवनी से प्रफुल्लित है।
माँ तू और अवर्णित है…॥

एक अकुलाहट-सी होती है,
माँ तेरे दर्शन को।
सपनों में मिलकर हो जाती है तृप्ति,
क्या कहूँ इस आकर्षण को।
इंतजार ना कर सकी तू,
और मैं ना रोक सकी तेरे विकर्षण को।
तेरे किसी काम ना सकी,
झुठला दिया मेरे समर्पण को।
दिल की रुदन का क्रंदन सुना न सकी किसी को,
अटकी अविरल अश्रु धार दिखा ना सकी किसी को।

घुटता है दम सोच कर तेरे अंतर्मन की पीड़ा को,
क्योंकि देर हो गई मुझसे…
कुछ समय तो दिया होता सोचने-समझने का,
कुछ समय तो दिया होता प्यार देने का प्यार पाने का।
मैं इंतजार करती रही,
एक दिन सेवा करूँगी।
मैं इंतजार करती रही,
एक दिन तुम्हारे काम आऊँगी।
इसलिए जो करना है अभी कर लो,
जो कहना है अभी कह लो…
समय लौटकर नहीं आता साथियों,
अभी समय है अपने माता-पिता की
सच्चे दिल से सेवा कर लो,
यही आत्मशक्ति है,
यही सच्ची मातृभक्ति है॥

परिचय-अर्चना पाठक का साहित्यिक उपनाम-निरन्तर हैl इनकी जन्म तारीख-१० मार्च १९७३ तथा जन्म स्थान-अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)हैl वर्तमान में आपका स्थाई निवास अंबिकापुर में है। हिन्दी,अंग्रेजी और संस्कृत भाषा जाने वाली अर्चना पाठक छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैंl स्नातकोत्तर (रसायन शास्त्र),एलएलबी सहित बी.एड. शिक्षा प्राप्त की हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(व्याख्याता)हैl सामाजिक गतिविधि के निमित्त बालिका शिक्षा के लिए सतत प्रयास में सक्रिय अर्चना जी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, लेख,गीत और ग़ज़ल हैl प्रकाशनाधीन साझा संग्रह हैl पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई है तो आकाशवाणी(अंबिकापुर) से कविता पाठ का निरन्तर प्रसारण होता है। आपको प्राप्त सम्मान में साहित्य रत्न-२०१८,साहित्य सारथी सम्मान- २०१८ और कवि चौपाल शारदा सम्मान हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं को उजागर कर समाजसेवा में भागीदारी अपनी लेखन कला का विकास एवं सक्रियता बनाये रखना है। आपकी पसंदीदा हिंदी लेखक-श्रीमती महादेवी वर्मा है,तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। अर्चना जी का सबके लिए संदेश यही है-मन की सुनते जाओ,जो तुमको अच्छा लगता हो वही करो,जबरदस्ती में किया गया कार्य खूबसूरत नहीं होता है। विशेषज्ञता-कविता लेखन है।

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