रूहानी रिश्ता

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* एक अजीब-सा रिश्ता है हमारा, खून का नहीं दिल का। कोई नहीं हो मेरे फिर भी, अपने से लगते हो। निश्चित पूर्वजन्म का, कोई सम्बन्ध रहा होगा, जो हम तुमसे मिले। घड़ीभर भी, तेरे ख़्यालों से जुदा नहीं होते। मालूम नहीं क्यों ? एक बेचैनी लिये दिल तड़पता है, तेरे … Read more

हार न मानी

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* मीरा दर्द न जाने कोये, जाने वही जो मीरा होये। बचपन प्रीत श्याम संग लागी, स्वप्न आँख श्याम संग सोई, भोर भई गिरधर संग जागी, राज की रानी प्रेम पुजारिन, पति रूप गिरधर को मानी, विरह वेदना बहुत सही है मगर मुख से न एक कही हैl राणा ने एक … Read more