सावन कितना पावन

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** ये महीना वर्ष का कितना पावन है, कहते इसी को हम सब सावन है। हरियाली यहां झूम के खिलखिलाती है, बूंदें ओस के मोती जैसी झिलमिलाती हैं। धरा ओढ़ रही अब हरियाली की चादर, कर रहीं सब बहारें सावन का आदर। अम्बर से बरस रही है मेघों की फुहार, गा रहीं … Read more

साँस है हिन्दी

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** हिन्दी धड़कन है साँस है हिन्दी, हिंदी तड़पन है अहसास है हिंदी। हिंदी माँ है हमारी और संस्कृति, जिसने पाला हमें,वह खास है हिंदी॥ भारतीय संस्कृति का निवास है हिंदी, परिधानों में भारतीयों का लिबास है हिंदी। हिंदुस्तानी भाषाई सुगंध फैल रही चारों ओर, हम सबमें अपनेपन का अहसास है हिंदी॥ … Read more