सावन कितना पावन
प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** ये महीना वर्ष का कितना पावन है, कहते इसी को हम सब सावन है। हरियाली यहां झूम के खिलखिलाती है, बूंदें ओस के मोती जैसी झिलमिलाती हैं। धरा ओढ़ रही अब हरियाली की चादर, कर रहीं सब बहारें सावन का आदर। अम्बर से बरस रही है मेघों की फुहार, गा रहीं … Read more