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साँस है हिन्दी

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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हिन्दी धड़कन है साँस है हिन्दी,
हिंदी तड़पन है अहसास है हिंदी।
हिंदी माँ है हमारी और संस्कृति,
जिसने पाला हमें,वह खास है हिंदी॥

भारतीय संस्कृति का निवास है हिंदी,
परिधानों में भारतीयों का लिबास है हिंदी।
हिंदुस्तानी भाषाई सुगंध फैल रही चारों ओर,
हम सबमें अपनेपन का अहसास है हिंदी॥

सिहर-सिहर चलने वाली पवन है हिन्दी,
संस्कृति का प्रतीक भारत में हवन है हिन्दी।
जो दो दिलों की भावना समझे-समझाए,
वह जुबानों का हरा-भरा वन है हिंदी॥

हिन्दी के बेटे गुप्त दिनकर प्रसाद निराला,
हिन्दी ने इन्हें अपने आशीर्वाद समेत पाला।
जो करते रहे संघर्ष अपनी भाषा के लिए,
सच में हिन्दी को इन्हीं बड़े बेटों ने संभाला॥

हमारी सरल मीठी भाषा प्यारी है हिन्दी,
सभी भाषाओं में सबसे न्यारी है हिंदी।
हिन्दी हम सब हिंदुस्तानियों की पहचान है,
सादगी सदभाव की हरी-हरी क्यारी है हिन्दी॥

समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें,
वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,
यह कोशिश और आशा है हमारी॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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