दीप का उजास
कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* दीप की बेला आई घर-घर, खुशियां मनाओ सब मन भर-भर स्नेह से बांटो प्रेम की गुझिया, मन अंतर भर जायें खुशियां। जीवन-जोत जला करती है, मन की तृषा कहां मिटती है धैर्य की राह पर बढ़ते जाना, सब मिट जाते गड़बड़झाला। आस की बेला के दर्पण में, जीवन का … Read more