उमँग

श्रीमती राजेश्वरी जोशी ‘आर्द्रा’  अजमेर(राजस्थान) *************************************************** मुद्द्त से बंद हूँ कलियों में, खुशबू बन बिखर जाने दो। खोई आसमां की ऊँचाईयों में, मुझे बादल बन बरस जाने दो। क़ैद हूँ हिम शिखरों में अनंत से, निर्झर-सा झरना बह जाने दो। पिंजरे में बंद फड़फड़ाती रही, नभ में पंछी बन उड़ जाने दो। कसमसाती उम्मीदें उम्रभर, … Read more