अंतस दियरा बार
रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष…॥ जग है ये काजल की कोठी, मन को कर उजियार। रे मानुष…॥ दो दिन का ये नीड़ पंछी का, उड़ना है पंख पसार। रे मानुष…॥ नदी उफनती नाव न कोई, कैसे … Read more