हतप्रभ नन्हा पौधा

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************************* ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर,हतप्रभ था नन्हा पौधा प्याराबहुत दुखी था देख कर वह,दुनिया का ऐसा चरित्र न्यारा। सुबह तड़के ही शुरू हुआ,अद्भुत एक अनोखा-सा खेलगमले में सजाकर उसको,ले गए एक बड़े मंच धकेल। सजा दिया था गमले को,फिर रंग-बिरंगे रिबनों सेदौर चला व्याख्यान का,कविताओं और संगीत का। वृक्षों की विवेचना हुई,पोस्टर बने … Read more

रस्मों की जकड़ से दूर

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************************* ये रस्मों का मकड़ जालआडम्बर से भरपूर,नाम पर जिसके यहाँमानवता होती चकनाचूर। रस्मों के नाम परडूबते उतराते रिश्ते,ख़ामख़ाह ढो रहेकसैले पड़े रिश्ते। रस्मों की नियमावली सेआहत हैं परम्पराएँ,ढूँढ रहीं अस्तित्व अपनाधूमिल हुई दिशाएँ। इन रस्मों को तोड़ करएक आसमान तलाशना है,क़ैद आकांक्षाओं कोमंज़िल तक पहुँचाना है। रस्मों के नाम परबिखरती हैं आशाएँ,कभी … Read more

तन्हाई भी अब गुज़रती नहीं

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************************* अश्क़ हैं कि संभलते नहीं,रूह है कि निकलती नहीं। दर्द की झड़ी जो थमती नहीं,डूब के साक़ी उफ़नती नहींकाली अँधियारी उदासी,तन्हाई भी अब गुज़रती नहीं। काँपते लब बिखरते एहसास,रूठ गए सब साज श्रंगारजीवन की है ये अजीब दास्तान,ये दूरी भी अब सही जाती नहीं। गफ़लत में गुज़ारी थी ज़िंदगी,भूल गई थी सब … Read more

कैसे बिसरूँ तेरा नाम

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************* बहुत कठिन है जीवन जीना पिया तेरे बिना,बहुत कठिन है साँसें लेना पिया तेरे बिना। पल-पल तेरी याद सताए अँखियाँ छल-छल आएँ,नाम तेरा हर वक्त निहारूँ…दिल को चैन ना आए,दर्द भरी है मेरी मुहब्ब्बत मन ये माने ना। ये तो राह बहुत कठिन है हर पल मैं अकुलाऊँ,व्याकुल जियरा कहा ना माने…कैसे … Read more

सही राह चुनना पथिक

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************* एक राह पर चलना पथिक,मंज़िल सही चुनना पथिकआगे चल दो राह मिलेंगी,एक सही एक ग़लत पथिक।एक पथ है जहाँ घास अधिक,एक पथ है मैदान अधिकये अंतर्द्वंदता मन का,कौन राह जाए पथिक।सही राह चुनना पथिक… जहाँ घास है,चला ना कोई,जहाँ मैदान वहाँ चले अनेकया तो खुद की राह बना,या भीड़ संग एक हो … Read more