फिसल गयी जिंदगी…
सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) *********************************************** समय की रेत पर फिसल गयी जिंदगी, देखते ही देखते में ढल गयी जिंदगी। करवटें बदल-बदल सोया निश दिन, अंत में करवट बदल गयी जिंदगी। दुल्हन जस सजाकर रखा था इसे, हाथों से यूँ ही निकल गयी जिंदगी। हवा से बचा कर रखा था सुरक्षित, रखे-रखे बर्फ जस गल गयी … Read more