बरगद की घनी छाया पिता

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बरगद की घनी छाया है पिता,छाँव में उसके भूलता हर दर्द। पिता करता नहीं दिखावा कोई,आँसू छिपाता अन्तर में अपने।तोड़ता पत्थर दोपहर में भी वो,चाहता पूरे हों अपनों…

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जीवन-ज्योति

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** फैले सत्कर्मों का तेरे प्रकाश,चमके हरदम जैसे हो मोती। दीपक-सा बनकर उजियारा,राह दिखाना हर राही को।सूरज-सी तपिश हो मन में,हर काम तुम्हारा शाही हो।फैले सत्कर्मों का तेरे प्रकाश,चमके…

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वीणा की मधुर झंकार हो तुम

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** माँ शारदे का वरदान हो तुम,वीणा की मधुर झंकार हो। कविता बताओ क्या हो तुम,झरनों की मधुर आवाज़ हो। नवचेतना सोते में भी भर दे,ऐसी परम शक्ति भी…

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समय चक्र

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** भाग रहा गति से अपनी ही,सुनता कब है बातें यह मेरी।नचा रहा जग को सारे यह,लगती जगती इसकी चेरी। दौड़ लगाती संग में इसके,फिर भी आगे बढ़ जाता…

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भरती खुशियाँ आजीवन

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** जीवन जटिल बना निशिवासर,जूझ रहा यह कोमल जीवन।तिनका-तिनका जोड़-जोड़ वह,भरती खुशियाँ वह आजीवन। कंटक पथ पर रहती अग्रसर,जीवन में लाती हरियाली।सहती कष्ट होंठ मुस्काते,हँस-हँस झेले बदहाली।मन कपाट को…

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परहित पुष्प संजोती नारी

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… हर युग को झेला है जिसने,हार नहीं पर मानी वह नारी।स्वाभिमान को गया दबाया,सिर नहीं झुका वह है नारी।जीवन के दो पहलू कहलाते,फिर भी…

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जीवन

डॉ.सरला सिंह दिल्ली *********************************************** जीवन मिथ्या समझाता है, नयन नीर से मुख धोता। जागी आँखों के सपने ले, निशिवासर जागृत सोता। मनवा को समझा के हारे, विधि विधान समझ न…

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