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परहित पुष्प संजोती नारी

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`
दिल्ली
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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

हर युग को झेला है जिसने,
हार नहीं पर मानी वह नारी।
स्वाभिमान को गया दबाया,
सिर नहीं झुका वह है नारी।
जीवन के दो पहलू कहलाते,
फिर भी इक ऊँचा-इक नीचा।
विष के प्याले पी-पी कर भी,
अमृत से जग को नित सींचा।
कंटक पथ के चुन-चुन काँटे,
चली हमेशा आगे ही नारी।
शक्तिमान के हाथों में सत्ता,
सदा विजय फिर भी पाई।
कैद रही जो युगों-युगों तक,
उसने ही इतिहास बनाया।
जननी है वह सृष्टि की सारे,
जगजननी कहलाती नारी।
देव झुकें जिसके चरणों में,
माता का वह रूप निराला।
फिर भी लोग समझ न पाए,
उसके ही हिस्से आती हाला।
अँधियारे में कर दे उजियारा,
नाम है उसका जग में नारी।
काँटों पर चलकर भी जो है,
परहित पुष्प संजोती रहती।
आँच न आने देती अपनों पे,
खुद पर हजार दु:ख है सहती।
सुन्दरतम दिल से तन से भी,
अनुपम-सी वह कृति है नारी।
जगती का है सम्मान उसी से,
नारायणी कहलाती है नारी॥

परिचय-आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च मा.विद्यालय दिल्ली में कार्यरत हैं। डॉ.सरला सिंह का जन्म सुल्तानपुर (उ.प्र.) में ४अप्रैल को हुआ है पर कर्मस्थान दिल्ली स्थित मयूर विहार है। इलाहबाद बोर्ड से मैट्रिक और इंटर मीडिएट करने के बाद आपने बीए.,एमए.(हिन्दी-इलाहाबाद विवि), बीएड (पूर्वांचल विवि, उ.प्र.) और पीएचडी भी की है। २२ वर्ष से शिक्षण कार्य करने वाली डॉ. सिंह लेखन कार्य में लगभग १ वर्ष से ही हैं,पर २ पुस्तकें प्रकाशित हो गई हैं। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। कविता (छन्द मुक्त ),कहानी,संस्मरण लेख आदि विधा में सक्रिय होने से देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं। काव्य संग्रह (जीवन-पथ),२ सांझा काव्य संग्रह(काव्य-कलश एवं नव काव्यांजलि) आदि प्रकाशित है।महिला गौरव सम्मान,समाज गौरव सम्मान,काव्य सागर सम्मान,नए पल्लव रत्न सम्मान,साहित्य तुलसी सम्मान सहित अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली) द्वारा भी आप ‘साहित्य सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को दूर करना है।

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