जीवन को जीतना है

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** क्या हुआ जो घरों में बंद हैं, होगा आगे आनंद ही आनंद है। अभी इक्कीस दिन सब्र के साथ रहो घर के अंदर, नहीं तो महाप्रलय का आएगा समंदर। बाहर घूमने वालों कुछ दिन खा लो दाल-रोटी, भीड़ लगाने वालों संभलो, वरना ‘कोरोना’ नोच लेगा तुम्हारी बोटी-बोटी। यह वक्त जिंदगी और … Read more

क्यों मैं समझती रही

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ तुम हमेशा वैसे ही थे जैसे आज हो, क्यों मैं समझती रही तुम अलग हो। मैंने तुम्हें हमेशा ही दिखाये फूलों से लदे हरे-भरे पेड़, तुमने देखा उसके नीचे गिरे पीले पत्तों को। मैंने तुम्हें हमेशा ही दिखाई मोती से झड़-झड़ झड़ते, बारिश की बूंदें, तुमने देखा मिट्टी से सने गन्दे … Read more

बहू नमक की तरह होती है..

निशा सतीशचन्द्र मिश्रा यामिनी मुंबई(महाराष्ट्र) ************************************************ मुरैना भदोही गांव की रहने वाली रेवा का इलाहाबाद के एक बड़े व्यापारी के बेटे सरजू के साथ ब्याह हुआl नए घर में बड़े ही आदर-सम्मान के साथ रेवा ने गृहप्रवेश कियाl शादी के दो-तीन साल काफी मजे और ख़ुशी के साथ निकल गए और जैसे-जैसे दिन बीतता गया,रेवा अपनी … Read more