भीतर-भीतर जंग!
डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ उबल रहे रिश्ते सभी,भरी मनों में भांप,ईंटें जीवन की हिली,साँस रही हैं कांप। बँटवारे को देखकर,बापू बैठा मौन,दौलत सारी बांट दी,रखे उसे अब कौन। नए दौर में देखिये,नयी-चली ये छाप,बेटा करता फैसले,चुप बैठा है बाप। पानी सबका मर गया,रही शर्म ना साथ,बहू राज घर-घर करें,सास मले बस हाथ। कुत्ते बिस्कुट खा रहे,बिल्ली … Read more