भीतर-भीतर जंग!

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ उबल रहे रिश्ते सभी,भरी मनों में भांप,ईंटें जीवन की हिली,साँस रही हैं कांप। बँटवारे को देखकर,बापू बैठा मौन,दौलत सारी बांट दी,रखे उसे अब कौन। नए दौर में…

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पशुपालन की बेहतर आजीविका से आत्मनिर्भरता

डॉ.सत्यवान सौरभहिसार (हरियाणा)************************************ 'कोरोना' संकट के कारण बाहरी प्रदेशों से बहुत से लोग वापस आए हैं और उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाना देश के सामने बड़ी चुनौती है। ऐसे में पशु…

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