बड़प्पन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** नगर के सिध्द स्थल हनुमान मंदिर में लक्ष्मण प्रसाद पहुंचे और प्रार्थना करने लगे-“हे भगवान कल का केस मैं ही जीतूं,इतनी दया ज़रूर करना। नहीं तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा। मेरी सारी दौलत मेरे सबसे बड़े दुश्मन के पास चली जाएगी।” उनके जाने के बाद थोड़ी देर में … Read more

स्वारथ का बाजार है…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सभी दोगले हो गये,सबके ढीले भाव। स्वाभिमान का है नहीं,अब इंसां को ताव॥ सबके कपटी आचरण,झूठे हैं प्रतिमान। मौका मिलते त्यागते,अकड़ू निज सम्मान॥ बदले हुये चरित्र अब,लगते हैं चलचित्र। बिखरी जाली खुशबुएं,हैं सब नकली इत्र॥ नहीं शेष संवेदना,रोते हैं सब भाव! अपने ही देने लगे,अब तो खुलकर घाव॥ स्वारथ … Read more

नारी की रक्षा हम सबका धर्म

एक बार फिर से जगा,मानव बन हैवान। उसकी पशुता ने हरा,नारी जीवन,मान॥ हद से गुज़री क्रूरता,दक्षिण का यह कृत्य। चंदा भी रोने लगा,रोता है आदित्य॥ वह भोली-सी डॉक्टर,मानव सेवा लक्ष्य। हिंसक नर ने कर लिया,उस देवी को भक्ष्य॥ रौंद दिया बूटों तले,कलिका का संसार। फाँसी में ही शेष अब,’शरद’ न्याय का सार॥ सामूहिक दुष्कृत्य यह,सुनकर … Read more

बेटियाँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** बेटी तो कोमल कली,बेटी तो तलवार। बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार॥ बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश। बेटी तो है लौह सम,बेटी भावावेश॥ बेटी कर्मठता लिये,रचे नवल अध्याय। बेटी चोखे सार का,है हरदम अभिप्राय॥ बेटी में करुणा बसी,बेटी में है धर्म। बेटी नित माँ-बाप प्रति,करती पूरा कर्म॥ बेटी तो … Read more

इंसां ना अब सात्विक

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** नहीं शेष संवेदना,रोते हैं सब भाव। अपने ही देने लगे,अब तो खुलकर घाव॥ स्वारथ का बाज़ार है,अपनापन व्यापार। रिश्ते रिसने लग गये,खोकर सारा सार॥ नित ही बढ़ती जा रही,अब तो देखो पीर। अपनों के नित वार हैं,बरछी-भाला-तीर॥ अपनी-अपनी ढपलियां,सबके अपने राग। गुणा हो रहे स्वार्थ के,मतलब के सब भाग॥ … Read more

बचपन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. खिलता रहे सदा बचपन, बढ़ता रहे सदा बचपन। कभी न शोषित-पीड़ित हो, फलता रहे सदा बचपन। दीपों के जैसा ही नित, जलता रहे सदा बचपन। आंधी हो,या हो तूफां, पलता रहे सदा बचपन। कभी नहीं रुक जाये ये, चलता रहे सदा बचपन। शालाओं में … Read more

अपने तक सारे हैं सीमित

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** दिल छोटे,पर मक़ां हैं बड़े,सारे भाई न्यारे, अपने तक सारे हैं सीमित,नहीं परस्पर प्यारे। दद्दा-अम्मां हो गये बोझा, कौन रखे अब उनको! टूटे छप्पर रात गुज़ारें, परछी में हैं दिन को। हर मुश्किल से दद्दा जीते,पर अपनों से हारे, अपने तक सीमित हैं सारे,नहीं परस्पर प्यारे॥ मीठा बचपन भूल … Read more

जीवन,जीवन ना रहा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** दुनिया कैसी हो गई,कैसे हैं अब लोग। पूजा से सब दूर हैं,चाहें केवल भोग॥ सेवक बनकर घूमते,पर करते हैं राज। सेवा का कोई नहीं,करता है अब काज॥ सत्ता पाना हो गया,अब कितना आसान। पर ऑफिस में,भृत्य का,पद मुश्किल,यह जान॥ जो सच्चे,वो रो रहे,झूठों पर मुस्कान। नम्बर दो से ही … Read more

आगे को नित बढ़ना होगा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा, डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगाl पीर बढ़ रही,व्यथित हुआ मन, दर्द नित्य मुस्काता अपनाता जो सच्चाई को, वह तो नित दु:ख पाताl किंचित भी ना शेष कलुषता,शुचिता को अब वरना होगा, डगर भरी हो … Read more

राष्ट्रीय एकता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** एक रहे हैं,एक रहेंगे,गर्व लिये हरसाएंगे, भारत की सम्प्रभुता की नित,शौर्य-ध्वजा फहराएंगे। नेहरू,गांधी का था सपना, वल्लभ भाई ने सींचा सीमाओं पर दे क़ुर्बानी, नक्शे को हमने खींचाl सदा अखंडित,नहीं हैं खंडित,हम प्रचंड बन जाएंगे, भारत की सम्प्रभुता की नित,शौर्य-ध्वजा फहराएंगेll नित्य एकता का लेखा है, किंचित नहीं कोई … Read more