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बड़प्पन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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नगर के सिध्द स्थल हनुमान मंदिर में लक्ष्मण प्रसाद पहुंचे और प्रार्थना करने लगे-“हे भगवान कल का केस मैं ही जीतूं,इतनी दया ज़रूर करना। नहीं तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा। मेरी सारी दौलत मेरे सबसे बड़े दुश्मन के पास चली जाएगी।”
उनके जाने के बाद थोड़ी देर में रामप्रसाद आये और वे भी प्रार्थना करने लगे-“हे भगवान कल का केस लक्ष्मण प्रसाद ही जीते ,इतनी दया करना। नहीं तो उसे बड़ा आघात लगेगा,और वह भीतर तक टूट जाएगा। मुझे कुछ नहीं चाहिए,मुझे केवल आपकी कृपा की ज़रूरत है।”
जैसे ही रामप्रसाद बाहर निकले,वैसे ही मंदिर के महंत उनसे बोले-“रामप्रसाद जी आप केस में ख़ुद की हार और अपने छोटे भाई की जीत की कामना कर रहे हैं,जबकि वह आपको अपना पक्का दुश्मन मानता है।क्या आप यह नहीं जानते ?”
“जी,बिलकुल जानता हूँ।”
“तो फिर,ऐसा क्यों ?”
“वह इसलिए,क्योंकि मैं बड़ा हूँ।”
“तो ?”
“तो,बड़े के साथ क्या बड़प्पन नहीं होना चाहिए ?” रामप्रसाद ने दृढ़ता से जवाब के साथ सवाल भी कर दिया। महंत जी अब निरुत्तर थे।

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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