कठपुतली

षैजू के. पालक्काट (केरल) ************************************************************* कठपुतली हो उसके हाथों की, फिर नाज़-नखरा कैसा नाचो जैसे नाचना है, वह आका है तुम्हाराl धागे हैं उसके हाथों में, कभी दाएं-कभी बाएं कभी उत्तर-कभी दक्षिणl करवाते हैं नौ रस को अभिनीत, जीवन के नाट्य मंच पर हँसो या रोओ, प्रतिरोध करो या सह लो नाचना तो होगा ही, … Read more