षैजू के.
पालक्काट (केरल)
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कठपुतली हो उसके हाथों की,
फिर नाज़-नखरा कैसा
नाचो जैसे नाचना है,
वह आका है तुम्हाराl
धागे हैं उसके हाथों में,
कभी दाएं-कभी बाएं
कभी उत्तर-कभी दक्षिणl
करवाते हैं नौ रस को अभिनीत,
जीवन के नाट्य मंच पर
हँसो या रोओ,
प्रतिरोध करो या सह लो
नाचना तो होगा ही,
क्योंकि,कठपुतली हैं
हम उसके हाथों कीll
परिचय-षैजू के. का स्थाई बसेरा केरल राज्य के पालक्काट जिले में है। १९९१ में ५ जून को जन्में षैजु का जन्म स्थान केरल ही है। आपको मलयालम,हिंदी सहित तमिल एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। केरल वासी षैजू के. की पूर्ण शिक्षा-एम.ए. और एम.फिल. है। कार्यक्षेत्र में अभी शोध विद्यार्थी होकर लेखन विधा-आलेख और काव्य है। इनको लेखन के लिए प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अब तक-हिंदी भाषा गौरव सम्मान-२०१९,केसरी सिंह बारहठ सम्मान-२०१९,साहित्य साधक सम्मान-२०१९,आंचलिक साहित्य भूषण सम्मान-२०१९ एवं शोध गौरव सम्मान- २०१९ विशेष हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा के प्रति प्रेम है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-अरुण कमल हैं। यह माँ,पिता तथा अध्यापक को प्रेरणापुंज मानते हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसके प्रति प्रेम दिखाना भारतीय होने के नाते हमारा फर्ज है। इसलिए ,मैं अपनी लेखनी के जरिए हिंदी भाषा के प्रति प्रेम को दिखाना चाहता हूँ।”