घर में बने रहो

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** लक्ष्मण रेखा खींचकर खुद पर करो उपकार, घर के अंदर ही बने रहो,नहीं पढ़ोगे बीमार। २१ दिन की अवधि ये तुम जो लोगे काट, जीवन रहेगा सलामत सबका,और बने रहेंगे ठाठ। राशन,सब्जी,दूध,दवा की नहीं रहेगी मंदी, घर के घर में ही बने रहो,ना करो बाहर संधि। जीवन को जीने … Read more

वरना एक दिन आएगा भूचाल

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. सबसे सुंदर धरा है अपनी, और सुंदर है अपनी प्रकृति। हरे-भरे हैं वृक्ष यहां पर, जिन पर गाते पक्षी कलरव। कल-कल करती नदियां है बहती, बिना रुके जीवन पर्यंत है चलती। देखो जंगल कितने घने और कितने प्यारे, फल-फूल औषधियों से भरे हैं सारे। … Read more

आदत बुरी है

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** निगाहें मिलाकर निगाहें चुराना आदत बुरी है,आदत बुरी है, मुहब्बत तो हमसे है,मगर इसको छिपाना आदत बुरी है,आदत बुरी है। दिल लगा कर दिल को जलाना आदत बुरी है,आदत बुरी है, साँसों को साँसों में भरकर धड़कन बढ़ाना आदत बुरी है,आदत बुरी है। जुल्फें गिराना उस पर इठलाना आदत … Read more

झुका नहीं हूँ मैं

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** मुसलसल सफर में हूँ,कभी रुका नहीं हूँ, बहुत कोशिश की जमाने ने पर कभी झुका नहीं हूँ मैं। ग़म के साए मुझसे दूर रहे तो ही अच्छा है, दर्द के पहरे से गुजरा कोई शख़्स नहीं हूँ मैं। मयखाने के सामने से होकर बस गुजरा हूँ, मय के नशे … Read more

महकती हुई बेटियाँ

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** घर के आँगन में फूल-सी महकती हुई बेटियाँ,  बड़ी अच्छी लगती चहकती हुई बेटियाँ।   खुशियाँ ही खुशियाँ घर में भर देती है बेटियाँ, जरा-सी डांट पर भी रूठ जाती है बेटियाँ।   दो परिवारों को स्नेह के बंधन से बांधती है बेटियाँ,  बहुत कुछ सहती,पर चुप रहती है बेटियाँ।   … Read more

वो माँ है..

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** अपने आँसूओं को खुद के आँचल से पोंछ लेती है, वो माँ है जो मुझे सीने लगा कर खुश होती है। अपने मुँह का हर एक निवाला भी मुझे खिला देती है, वो माँ है जो मुझ पे ढेर सारा प्यार लुटा देती है। मेरी हर गलती पर परदा … Read more

नूतन वर्ष मनाएंगे हम

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** सूरज की पहली किरण से इतिहास नया रचाएंगे हम, नूतन वर्ष मनाएंगे हम,नूतन वर्ष मनाएंगे। हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा अपना फहराएंगे हम, नूतन वर्ष मनाएंगे हम,नूतन वर्ष मनाएंगे। तरक्की की नई इबारत लिख कर ज्ञान की गंगा बहाएंगे हम, नूतन वर्ष मनाएंगे हम,नूतन वर्ष मनाएंगे। जनमानस … Read more

बताऊं कैसे

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** दिल में लगी आग को बुझाऊं कैसे, मुझे तुमसे मुहब्बत है,कहो तुम्हें बताऊं कैसे। फिक्र करता हूँ तुम्हारी हद से ज्यादा, कहो तुम्हें ये जताऊं कैसे। तुम बिन कोई मेरे मन को भाता नहीं, कहो अपने दिल को समझाऊं कैसे। हर रंग मुझे सतरंगी लगता, जो रंग तुझमें रंग … Read more

मेरी प्राण प्रिये

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** मेरे हृदय के स्पंदन में बस तुम ही बसी हो प्राण प्रिये, जैसे दिया और बाती रहते,हरदम मेरे तुम साथ रहना प्राण प्रिये। चाँद की मधुर चाँदनी बनकर, मेरी आँखों में तुम बसना प्राण प्रिये। धरती और अम्बर साथ हैं, ऐसे ही तुम साथ चलना प्राण प्रिये। थक जाऊं … Read more

बच्चे मन के सच्चे

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *************************************************************** बच्चे मन के सच्चे होते, कितने अच्छे,प्यारे लगते। पंछी से ये उड़ते रहते, खेलते-कूदते मस्ती करते। इनके अंदर ईश है बसते, ईश भी स्वयं बच्चे बनते। नहीं घृणा ना द्वेष रखते, मन में सुंदर सपने रचते। गांधी-सुभाष के संस्कार रखते, हर दम देखो आगे बढ़ते। कच्ची मिट्टी-सा तन है … Read more