विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष……..
सबसे सुंदर धरा है अपनी,
और सुंदर है अपनी प्रकृति।
हरे-भरे हैं वृक्ष यहां पर,
जिन पर गाते पक्षी कलरव।
कल-कल करती नदियां है बहती,
बिना रुके जीवन पर्यंत है चलती।
देखो जंगल कितने घने और कितने प्यारे,
फल-फूल औषधियों से भरे हैं सारे।
रंग-बिरंगे,खुशबू से आच्छादित,
लताओं पर लदे कुसुम करते आनंदित।
गुंजन करते भंवरे और तितलियां,
मानो हैं जैसे एक-दूजे की सहेलियां।
पर इस प्रकृति की सुंदर कृति ने,
उजाड़ डाले हैं जंगल सारे।
छिन्न-भिन्न कर दी धरा की काया,
जो भी मानव के मन को भाया।
बना बैठा सीमेंट-क्रांकीट के जंगल,
कर बैठा खुद का ही अमंगल।
वायु,भूमि और जल को कर दिया इसने प्रदूषित,
अब खुद हो रहा है इनसे शोषित।
बाग उजाड़े, खेत उजाड़े और उजाड़े सबके आशियाने,
हे मानव स्वार्थ की चाह,क्यों बन बैठा तू दानव ?
प्रकृति भी लगी है हिसाब गिनाने,
बाढ़-भूकंप-सुनामी देकर अपना रौद्र रूप लगी है दिखाने।
अब भी समय है चेत जाओ,
स्वयं ही अपनी चिता न सजाओ।
खुद भी जियो और दूसरो को भी जीने दो,
अमृत बरसाती है प्रकृति स्वयं पियो और दूसरो को भी पीने दो।
वरना एक दिन आएगा भूचाल,
ना रहेगा कोई पूछने वाला अपना हाल।
परिचय–विनोद कुमार सोनगीर का निवास मध्यप्रदेश के इन्दौर जिले में है,पर स्थाई निवास मंडलेश्वर में है। साहित्यिक उपनाम-कवि विनोद से पहचाने जाने वाले श्री सोनगीर की जन्म तारीख १ जुलाई १९८२ है। इनको भाषा ज्ञान-हिंदी व इंग्लिश का है। बी.एससी.(जीव विज्ञान),एम.ए.(समाज शास्त्र),एम.एससी.(रसायन) सहित डी.एड. और सी.टी.ई.टी. तक शिक्षित होकर कार्य क्षेत्र में शासकीय सेवक (शिक्षक)हैं। आप सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत पर्यावरण सुरक्षा,बालिका शिक्षा हेतु सदैव तत्पर हैं। कवि विनोद की लेखन विधि-गीत,ग़ज़ल, लेख और कविता है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान तथा पुरस्कार निमित्त आपको शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु व संगठन हित में सक्रिय भूमिका हेतु कर्मचारी संगठन से सम्मान,शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा हेतु ग्राम पंचायत उमरीखेड़ा द्वारा सम्मान आदि हासिल हुए हैं। विशेष उपलब्धि-उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन के माध्यम से सभी का शुद्ध मनोरंजन करना,व समाज को नई दिशा प्रदान करना है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक सभी हैं,तो प्रेरणापुंज-डॉ.राहत इंदौरी हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार,हास्य, व्यंग्य और वीर रस पर लेखन की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति अपने विचार-“देश में हिंदी साहित्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार अत्यंत आवश्यक है। हिंदी भाषा को इंग्लिश से बचाने के लिए साहित्य का प्रसार अत्यंत आवश्यक है।” कवि विनोद के जीवन का लक्ष्य-श्रेष्ठ कार्य सतत करते रहना है।