सपना
डॉ. शुचिता सेठ,दतिया (मध्यप्रदेश)******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से चलो इस बार,फिर से कोईसपना सजाते हैं।तारों की सुंदर,चादर तलेख़्वाबों का मज़मा,लगाते हैं। कभी हम तुम्हें,कभी तुम हमेंनए प्यार के,गीत सुनाते हैं।अमवा तरे,ख़ुशियों काझूला लगाते हैं। कभी तुम हमें,कभी हम तुम्हेंझूला झुलाते हैं।नीले गगन तले,समंदर किनारेरेत पर,घरौंदे बनाते हैं।हम दोनों,मिलकरसुनहरे सपने सजाते हैं॥