अमूल्य

सुशांत सुप्रिय  ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** पैर छूते ही माँ ने दिया है आशीष, जैसे आकाश ने दे दिया है क़ीमती इन्द्रधनुष, जैसे पेड़ों ने दे दिए हैं पके हुए फल, जैसे गृहिणी ने अनाज से भर दी है भिक्षु की ख़ाली झोली, जैसे चैन की नींद ने दे दी है थके मज़दूर को राहत l … Read more

धूप

सुशांत सुप्रिय  ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** उदास-सा मैं इंडिया गेट के मैदान में चला आया था।कुछ जोड़े किनारे की घास पर बैठे थे।किशोर मैदान में क्रिकेट खेल रहेथे। वह एक धूसर-सा दिन था।आकाश बादलों से ढँका था। सामने से एक ढाई-तीन साल की बच्ची अपनी माँ की उँगली पकड़े चली आ रही थी।जब वे मेरे बग़ल … Read more