अमूल्य
सुशांत सुप्रिय ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** पैर छूते ही माँ ने दिया है आशीष, जैसे आकाश ने दे दिया है क़ीमती इन्द्रधनुष, जैसे पेड़ों ने दे दिए हैं पके हुए फल, जैसे गृहिणी ने अनाज से भर दी है भिक्षु की ख़ाली झोली, जैसे चैन की नींद ने दे दी है थके मज़दूर को राहत l … Read more