अनार्याणां प्रवेश: निषिद्ध
सुशांत सुप्रिय ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** पंडित ओंकारनाथ संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थेl लोग उनके पांडित्य का लोहा मानते थे। पांडित्य उन्हें संस्कारों में मिला था।एक और वस्तु जो उन्हें संस्कारों में मिली थी,वह थी-कुल का गौरव और जातिगत अभिमान। उच्च वर्ण का जातिय अहं उनकी नस-नस में भरा था। उनका मानना था कि उनकी शिराओं … Read more